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Apr 5, 2021

18 अप्रैलः विश्व धरोहर दिवस- प्राचीन सभ्यताओं से जुड़ने का एक अवसर


किसी
भी देश के लिए उसकी धरोहर उसकी अमूल्य संस्कृति होती है। किसी भी देश की पहचान
, वहाँ की सभ्यता की जानकारी इन धरोहरों से ही पता चलती है। आज देश का गौरव बढ़ाने का काम यह धरोहरें ही कर रही हैं। जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से लाखों पर्यटक प्रत्येक वर्ष एक देश से दूसरे देश, एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं। यदि यह धरोहर यह विरासत ना हो तो हम कभी किसी का इतिहास नहीं जान पाएँगे। अतीत हर व्यक्ति, हर देश के लिए बहुत जरूरी है। इतिहास में कब, क्या, कहाँ घटित हुआ यह जानना अति आश्यक है। इन्हीं घटनाओं, सभ्यताओं और इतिहास की संस्कृति को जीवित रखने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को पूरे विश्व में विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। आईसीओएमओएस (स्मारकों और स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिषद) ने 18 अप्रैल 1 9 82 को ट्यूनीशिया में एक संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें यह सुझाव दिया गया कि सभ्यता को बचाकर रखने के लिए और इन धरोहरों के संरक्षण के लिए एक विशेष दिन चुनना आवश्यक है, ताकि जनता को जागरुक कर सकें। जिसके परिणाम स्वरुप 18 अप्रैल का दिन चुना गया। जिसे प्रत्येक वर्ष विश्व धरोहर दिवस के रुप में मनाया जाता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अपनी सभ्यता और इतिहास से भली भांति परिचित हो सके।

विश्व धरोहर दिवस का इतिहास 

विश्व विरासत दिवस सर्वपर्थम 18 अप्रैल, 1982 को ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्सद्वारा मनाया गया था। एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 1968 में विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा के लिए एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र के सामने 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान रखा गया, जहाँ य प्रस्ताव पारित हुआ। इस तरह विश्व के लगभग सभी देशों ने मिलकर ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने की शपथ ली।

इस प्रकार यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर अस्तित्व में आया। 18 अप्रैल, 1978 में पहले विश्व के कुल 12 स्थलों को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया गया। इस दिन को तब विश्व स्मारक दिवस के रूप में मनाया जाता था। लेकिन यूनेस्को ने वर्ष 1983 नवंबर माह में इसे मान्यता प्रदान की और इस दिवस को विश्व विरासत या धरोहर दिवस के रूप में बदल दिया। वर्ष 2011 तक सम्पूर्ण विश्व में कुल 911 विश्व विरासत स्थल थे, जिनमे 704 ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक, 180 प्राकृतिक और 27 मिश्रित स्थल हैं। इस दिन पूरी दुनिया में विरासत की विविधता का जश्न मनाती है।

कैसे किया जाता है धरोहरों का संरक्षण

किसी भी धरोहर को संरक्षित करने के लिए दो संगठनों अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ द्वारा आकलन किया जाता है। फिर विश्व धरोहर समिति से सिफारिश की जाती है। समिति वर्ष में एक बार बैठती है और यह निर्णय लेती है कि किसी नामांकित संपदा को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित करना है या नहीं। विश्व विरासत स्थल समिति चयनित खास स्थानों, जैसे-वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर इत्यादि की देख-रेख यूनेस्को से सलाह करके करती है।

भारत की विश्व विरासत

भारत एक ऐसा देश है जिस पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि जैसे आर्य, गुप्त, मुगल और अंग्रेज इत्यादि के शासकों द्वारा शासन किया गया है और उन सभी ने स्मारकों और स्थलों के रूप में भारतीय मिट्टी पर अपने निशान छोड़े हैं। चाहें वो शाहाजहाँ द्वारा बनाया गया प्रेम का प्रतीक ताजमहल हो या लालकिला, कुतुबद्दीन द्वारा बनाया गया कुतुबमीनार हो या चारमीनार, हुमायू टोंब हो या छत्रपति शिवाजी टर्मिनल यह सब धरोहरें हमें भारत की प्राचीन संस्कृति से परिचित कराती हैं। इनके संरक्षण के कारण ही यह अब तक सुरक्षित व पुनर्जीवित हैं। विश्व धरोहर दिवस इन विभिन्न सभ्यताओं से जुड़ने का एक अवसर उपलब्ध कराता है। भारत के तो हर रोहर के पीछे एक बड़ा इतिहास छिपा है। जो भारत को विश्व के सामने स्वयं को प्रस्तुत करने का अवसर उपलब्ध कराता है। 

धरोहरों का महत्त्व और सरंक्षण

विश्व विरासत दिवसका प्रत्येक व्यक्ति के लिए बड़ा ही महत्त्व है। विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त स्थलों के महत्त्व, सुरक्षा और संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने के मकसद से ही यह विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। दरअसल यह एक मौका है जब हम लोगों को बताएँ कि हमारी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाए रखने के लिए कितनी कोशिश हो रही है। साथ ही यह दिन यह भी बताता है कि हमारी यह धरोहरों को अब कितने रख-रखाव की जरूरत है। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए निशानी के तौर पर तमाम तरह के मंदिर, मक़बरा, मस्जिद और अन्य चीज़ों का सहारा लिया, जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें; लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान पहुँचा। किताबों, इमारतों और अन्य किसी रूप में सहेज कर रखी गई यादों को पहले स्वयं हमने भी नजरअंदाज किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गईं और उनका अस्तित्व भी संकट में पड़ गया। इन सब बातों को ध्यान में रखकर और लोगों में ऐतिहासिक इमारतों आदि के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से ही विश्व विरासत दिवसकी शुरुआत की गई। विश्व धरोहर या विरासत सांस्कृतिक महत्त्व व प्राकृतिक महत्त्व के वह स्थल होते है जो बहुत ही जरूरी होते हैं। कई ऐसे स्थल जो ऐतिहासिक व पर्यावरण के रूप में जरूरी माने जाते हैं। इन स्थलों का अंतरराष्ट्रीय महत्त्व भी होता हैं व साथ ही इन्हें बचाने के लिए लगातार कोशिश किए जाते हैं। ये धरोहर हमारी संस्कृति को दर्शाती हैं व हमारे इतिहास के बारे में जानकारी देती हैं।

हमारे इतिहास या हमारी विरासत को बचाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाना जरुरी हैं। विश्व धरोहरों की जरुरतों और उन्हें सरंक्षण देने की आवश्यकता को समझते हुए आज उनकी देखभाल अच्छे से की जा रही है। हम अपनी संस्कृति तो खो ना दें इस उद्देश्य से अब पुरानी हो चुकी जर्जर इमारतों की मरम्मत की जाने लगी है, उजाड़ भवनों और महलों को पर्यटन स्थल बनाकर उनकी चमक को निखारा गया है। किताबों और स्मृति चिह्नों को संग्रहालय में जगह दी गई है; लेकिन फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अपनी इन धरोहरों की कद्र नहीं कर रहे हैं वो इन पर संदेश लिखकर इनकी सुंदरता को खराब कर रहें हैं। पान, गुटखा इत्यादि खाकर इन पर थूक कर गन्दगी के निशान छोड़ रहें है। वे नहीं जानते कि हमारी ये धरोहरें बहुत अमूल्य हैं हमें इनका सम्मान करना चाहिए। 


भारत की विरासत

कोई भी धरोहर किसी भी राष्ट्र का इतिहास, उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है। जिस देश का इतिहास जितना गौरवमयी होगा, वैश्विक स्तर पर उसका स्थान उतना ही ऊँचा माना जाएगा। वैसे तो बीता हुआ कल कभी वापस नहीं आता, लेकिन उस काल में बनीं इमारतें और लिखे गए साहित्य उन्हें हमेशा सजीव बनाए रखते हैं। विश्व विरासत के स्थल किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और उसकी प्राचीन संस्कृति के महत्त्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं। दुनियाभर में कुल 1052 विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें से 814 सांस्कृतिक, 203 प्राकृतिक और 35 मिश्रित स्थल हैं।  भारत में फिलहाल 27 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित सहित कुल 35 विश्व धरोहर स्थल हैं।

भारत के विश्व धरोहर स्थल

आगरा का किला (1983)
अजंता की गुफाएँ (1983)
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (1985)
केओलादेओ नेशनल पार्क (1985)
नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय), बिहार (2016)
साँची बौद्ध स्मारक (1989)
कंचनजुंगा राष्ट्रीय उद्यान (2016)
एलिफेंटा की गुफाएँ (1987)
एलोरा की गुफाएँ (1983)
चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क (2004)
हुमायू का मकबरा, दिल्ली (1993)
लाल किला परिसर (2007)
खजुराहो में स्मारकों का समूह (1986)
नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (1988)
सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान (1987)
बोध गया में महाबोधि मंदिर परिसर (2002)
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) (2004)
गोवा के चर्च और कॉन्वेंट्स (1986)
फतेहपुर सीकरी (1986)
ग्रेट लिविंग चोल मंदिर (1987)
हम्पी में स्मारकों का समूह (1986)
महाबलिपुरम में स्मारक समूह (1984)
पट्टडकल में स्मारक समूह (1987) 
राजस्थान में पहाड़ी किला (2013)
माउंटेन रेलवे ऑफ इंडिया (1999)
कुतुब मीनार और इसके स्मारक, दिल्ली (1993)
रानी-की-वाव पाटन, गुजरात (2014)
भीमबेटका के रॉक शेल्टर (2003)
सूर्य मंदिर, कोणार्क(1984)
ताज महल (1983)
ला कॉर्ब्युएर का वास्तुकला कार्य (2016)
जंतर मंतर, जयपुर (2010)
हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान संरक्षण क्षेत्र (2014)
मानस वन्यजीव अभयारण्य (1985)
पश्चिमी घाट (2012) 

(संकलित)

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