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Dec 6, 2020

उदंती.com, दिसम्बर-2020

चित्र- सुधा भार्गव
वर्ष- 13, अंक- 4

अगर आप आपदाओं के बारे में सोचेंगे, तो वह आ ही जाएगी, अगर आप मृत्यु के बारे में गंभीरता से सोचते हैं, तो आप अपनी मौत की ओर बढ़ने लगते हैं, जब आप सकारात्मक और स्वेच्छा से सोचेंगे, तब  विश्वास और निष्ठा के साथ आपका जीवन सुरक्षित हो जाएगा।    

-स्वामी विवेकानंद 


 अनकहीः जाते हुए साल में... - डॉ. रत्ना वर्मा

आलेखः घृणा का स्थान - प्रेमचंद

स्मरणः साहित्य  के मूक साधक- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी - विनोद साव

आलेखः छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की साझी संस्कृति - प्रो. अश्विनी केशरवानी

जयंतीः डॉ. राजेन्द्र प्रसाद - शुचिता का सफ़रनामा - विजय जोशी 

किताबेंः जाबाज़ वीरों की सत्य कहानियाँ - स्वराज सिंह

कहानीः  पूरा चाँद अधूरी बातें -भावना सक्सैना

ग़ज़लः अधूरा रह गया - रमेशराज

लघुकथा ः 1- प्रहरी, 2मतदान से पहले - श्याम सुन्दर अग्रवाल

नवगीतः जागो! गाँव बहुत पिछड़े हैं  - शिवानन्द सिंह सहयोगी

क्षणिकाएँः  वक्त की रेत पर, छोड़ने  हैं निशाँ...! - प्रीति अग्रवाल

लघुकथाः अंतिम अहसास -पूनम सिंह

कविताः आखिरी पन्ना -रमेश कुमार सोनी 

क्षणिकाएँः  स्मृतियाँ रश्मि शर्मा

व्यंग्यः दया के पात्र -विनय कुमार पाठक

कविताः हाँ मैं नारी हूँ! -डॉ. सुरंगमा  यादव 

पर्यावरणः  हरित पटाखेपर्यावरण और स्वास्थ्य - सुदर्शन सोलंकी

कोविड-19ः   इस महामारी का अंत कैसे होगा?

प्रेरकः ज़िंदगी की शाम -निशांत


आवरण- सुधा भार्गव की पेंटिंग -  विभिन्न विधाओं पर लेखन-  कहानी, लोककथा, लघुकथा, बालसाहित्य, निबंध,  संस्मरण तथा कविताएँ। २१ वर्षों तक बिरला हाई स्कूल कलकत्ता में शिक्षण कार्य। किताबें सभी विधाओं में प्रकाशित। समय- समय पर संकलनों व अन्तर्जाल पत्रिका में  रचनाएँ प्रकाशित। कोरोना के बाद  kindle ebook पब्लिशिंग से जुड़ीं । बालसाहित्य से सम्बंधित उनकी 6 किताबों को kindle. amajon पर देखा जा सकता है। अपनी चित्रकला के बारे में सुधा जी कहती हैं - क्लांति से छुटकारा पाने के लिए उँगलियों ने तूलिका पकड़ी और रंगों में खो गई।  उपर्युक्त पेंटिंग भी कोरोना काल की उपज है। जिसका शीर्षक दिया है -सतरंगी सपने। इसको बनाने के बाद मुझे वैसा ही सुकून मिला जैसे प्यासे को पानी पीने के बाद।

7 comments:

Unknown said...

Its beautifully painted n written.

poonam chandralekha said...

बहुत सुंदर आवरण और सम्पूर्ण रचनाएं

bhawna said...

बहुत सुंदर आवरण।

प्रगति गुप्ता said...

बढ़िया संपादकीय,आवरण व सामग्री। पढ़ते हुए अपनी सी पत्रिका का अहसास होता है।

Unknown said...

Beautiful painting which describing the quote very well. You have a very good writing sense. I m a great fan of yours

रत्ना वर्मा said...

आप सबका बहुत- बहुत आभार और धन्यवाद... आप सबकी प्रतिक्रियाओं से हमें प्रोत्साहन मिलता है और पत्रिका के लिए रचनाओं के चयन में सहायता मिलती है... आभार।

नीलाम्बरा.com said...

बहुत ही सुन्दर अंक, आपको कोटिशः बधाई , हार्दिक शुभकामनाएँ