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Jul 10, 2020

उदंती.com, जुलाई- 2020

वर्ष-12, अंक- 11


जब आपको कोई फूल पसंद आता हैं, तो आप उसे तोड़ लेते है;  लेकिन जब आप किसी फूल से प्यार करते हैं,  तो आप उसे हर रो पानी देते हैं। - गौतम बुद्ध



जीवन दर्शन:  करिश्मा कुदरत का - विजय जोशी

6 comments:

प्रगति गुप्ता said...

पत्रिका उदंती अपने आप में अनूठे कलेवर के साथ मिली है। सकारात्मक चित्र वाला मुख्य पृष्ठ पत्रिका को खोलने-पढ़ने के लिए विवश करता है। मेरी कहानी इस अंक में आपने शामिल की उसके लिए बहुत आभार।

Seema Singh said...

आज के समय में, ज़ब हम सब घरों में कैद हैं, पत्रिकाओं की उपयोगिता और भी बढ़ गई है। ऐसे समय में उदंती का नवीन अंक प्राप्त होना बेहद सुखद है। आपके श्रम को नमन है।

प्रीति अग्रवाल said...

सभी लेख सुंदर और सार्थक, सभी रचनाकारों को बधाई!

प्रीति अग्रवाल said...

मेरी कविता को इस सुंदर मंच पर स्थान मिला, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद और आभार!!

शिवजी श्रीवास्तव said...

कोरोना काल मे एक सुंदर अंक।आपका सम्पादकीय कोरोना ने बदल दी हमारी जीवन शैली,सामयिक सन्दर्भो में महत्वपूर्ण है।
प्रेमचन्दजी के साथ दो दिन में बनारसीदास चतुर्वेदी ने बड़े सहज ढंग से प्रेमचंद के व्यक्तित्व एवम विचार दर्शन का मूल्यांकन किया है,आज भी ये संस्मरण प्रासंगिक है।प्रीति अग्रवाल की अनुभूतियाँ प्रभावी हैं।शशि पाधा, अजय खजूरिया और प्रगति गुप्ता की कविताएँ भी सुंदर हैं।युगल एवम कृष्णानन्द कृष्ण की लघुकथाएँ भी प्रभावी हैं।समग्रतः एक सुंदर अंक के लिये बधाई

रत्ना वर्मा said...

आप सबने सराहा इसके लिए आभार
विश्वाश है आप सबका सहयोग और साथ बना रहेगा शुभकामनाएँ...