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Jun 6, 2020

रितु त्यागी की चार कविताएँ

रितु त्यागी की चार कविताएँ
1. एक शहर
एक शहर
फिर लौट आया था अपने में
निपट अकेला
भीतर की चुप्पियों को समेटे लोग
उसकी कनिष्ठिका को थाम लेतें हैं
एक थाप देता है जीवन
कुछ रंग शहर की हवा में घुल रहें हैं।
2.स्त्री के नीले होंठ
उनके साथ
मेरे जीवन के
सारे रंग ही चले ग.....
स्त्री के नीले होंठ फड़फड़ा
स्त्री के माथे का
लाल रंग मुझे याद था
और हाँ!
पीठ का नीला रंग भी
बाकी रंग शायद
उसके अंतःकरण की
धरती में कहीं दबे थे।
३. सपनों की कलाई
ये प्रेम में
तितली की तरह
उड़ती लड़कियाँ थी
इनके नरम पंखों पर
हसरतों की गुलाबी धूप थी
ये आईने पर
उकड़ू बैठी आस थी
ये शक से बे-ख़बर
सपनों की कलाई पर
बँधा लाल धागा थी।
४. एक थकी- सी हसरत
एक थकी सी हसरत को
मैं सुला रही हूँ
समय टप...टप.... टप बह रहा है
नीला हहराता हुआ समंदर
अपनी बाँहें फैलाकर खड़ा है।
मैं आँखें बंदकर
समंदर के रेतीले किनारे पर
खड़ी रेत बन जाती हूँ।

3 comments:

Rakesh Chaturvedi Om said...

बहुत ही ख़ूबसूरत और हृदय स्पर्शी !!

Upendra singh said...

बहुत खूब

Unknown said...

खूबसूरत और अद्भुत👌