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Aug 18, 2018

टैग टीवी में हाइकु पर परिचर्चा

टैग टीवी में हाइकु पर परिचर्चा
कनाडा(टोरंटो) के टैग टी वी (TAG  T.V.) पर हाल ही में एक नया कार्यक्रम 'साहित्य के रंग शैलजा के संग आरंभ हुआ है, जो विभिन्न भाषाओं के साहित्य की विभिन्न विधाओं पर केन्द्रित होगी। शृंखला की पहली कड़ी में हाइकु के उद्भव और विकास पर भारत के श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु  से लम्बी बातचीत हुई। चर्चा में श्रीमती कृष्णा वर्मा और श्रीमती भुवनेश्वरी पांडे ने भी भाग लिया। डॉ. शैलजा सक्सेना द्वारा आयोजित इस परिचर्चा के यू ट्यूब का लिंक https://youtu.be/1QA0I2KCG0Y यहाँ दिया जा रहा है। कार्यक्रम में पढ़े गए कुछ हाइकु भी आपके अवलोकन के लिए यहाँ दे रहे हैं -
1- डॉ. भगवत शरण अग्रवाल
1. तुम्हारे बिना /दीवारें हैं, छत है/घर कहाँ है ?
2. वर्षा की रात /बतियाते मेंढक /चाय पकौड़ी।
2- डॉ. सुधा गुप्ता
1. लुक-छिपके/चारदीवारी फाँद/आ कूदा चाँद।
2. लाल गुलाल/पूरी देह पे लगा/हँसे पलाश।
3. नाज़ुक कली/आग की लपटों में/धोखे से जली।
3- डॉ. भावना कुँअर
1- लेटी थी धूप/सागर तट पर/प्यास बुझाने।
2- परदेस में/जब होली मनाई/तू याद आई।
4 – डॉ. हरदीप कौर संधु
1. पत्र जो मिला/लगा  बहुत पास/दूर का गाँव
2. भूल न पाया/जब-जब साँस ली/तू याद आया।
5- कमला निखुर्पा
1. आई हिचकी/अभी-अभी भाई ने/ज्यों चोटी खींची।
6- रचना श्रीवास्तव
1.बेटे का कोट/रोज़ धूप दिखाती/प्रतीक्षा में माँ।
2.आँसू से लिखी/वो चिट्ठी जब खोली/भीगी हथेली।
7- डॉ. जेन्नी शबनम
1. प्रेम बंधन/न रस्सी न साँकल/पर अटूट।
2-प्रीत रुलाए/मन को भरमाए/पर टूटे न।
8- डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1. रजनी बाला/कहाँ खोया है बाला/हँसिया वाला।
2. पत्ता जो गिरा /मुस्कुराकर कहे/फिर आऊँगा।
 9- डॉ कुँवर दिनेश सिंह
1. मेघों का नाद/हृदय को बींधती /प्रिय की याद।
2. मन अधीर/दर-दर भटके /मौन समीर।
10- डॉ. कविता भट्ट
1. जब भी रोया/विकल मन मेरा/तुमको पाया।
2. तुम प्रणव/मैं श्वासों की लय हूँ/तुम्हें ही जपूँ।
3. पाहन हूँ मैं/तुम हीरा कहते/प्रेम तुम्हारा।
11- भावना सक्सेना
1. झील-दर्पन/देख रही घटाएँ/केश फैलाएँ।
12- अनिता ललित
1. माँ सिसकती/आँगन हुड़कता/हो बेटी विदा।
2. माँ तेरे आँसू/तूफानों में हैं सोते/ख़ुशी में 'सोते'
13- ज्योत्स्ना प्रदीप
1. सहेजे मैने /तेरे दिये वह काँटे /कभी ना बाँटे।
2. जीवन बीता/वह कभी बनी राधा/तो कभी सीता।
14- प्रियंका गुप्ता
1. प्रेम की नदी/सामने ही थी बही/प्यासी ही रही।
2. प्रेम की नदी/पार किया तो जाना/आग से भरी।
15- शशि पाधा
1. अक्षर झरे/कल्पना -सरसि से/गागर भरे|
16- सुदर्शन रत्नाकर
 1. सर्दी की रात/लोग सोएँ भीतर/चाँद अकेला।
 2. ज़रा सुनो तो/कराहते पर्वत/कटे हैं वन।
17- शैलजा सक्सेना
1- दिन कमान/धूप जलता तीर/ज़ख्मी शरीर!
2- सज्जित घर/खनकते न स्वर/बच्चे लापता!
18- कृष्णा वर्मा
नदी जल में/नहा के हवाएँ दें/सूर्य को अर्घ्य।

3 comments:

Dr.Bhawna Kunwar said...

Itni vistrit jankari haiku par you tube par dekha yanha haiku padhkar bhi bahut achchha laga kamboj ji ko meri bahut bahut badhai.

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत ही सहज और बढ़िया साक्षात्कार हुआ है। सबको बधाई...और आपका आभार इस लिंक को शेयर करने के लिए...।

डॉ. जेन्नी शबनम said...

पूरा इंटरव्यू सुनी। बहुत अच्छा लगा देश से बाहर भी हिन्दी और विशेषकर हाइकु, ताँका, चोका इत्यादि पर इतना काम हो रहा है। काम्बोज भाई ने शुरू से ही एक गुरू की तरह हाथ पकड़ कर लिखना सिखाया और आज यहाँ मेरे हाइकु की भी चर्चा की। बहुत धन्यवाद। आभार सहित शुभकामनाएँ।