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Dec 18, 2017

उदंती.com दिसम्बर 2017

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दिसम्बर 2017
दूसरों पर किए गए व्यंग्य पर हम हँसते हैं पर अपने ऊपर किए गए व्यंग्य पर रोना तक भूल जाते हैं। 
- रामचंद्र शुक्ल



व्यंग्य विशेष 

1 comment:

प्रियंका गुप्ता said...

बहुत रोचक और सार्थक अंक है...मेरी बधाई और शुभकामनाएँ...|