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Nov 25, 2016

चल पड़े हैं

  चल पड़े हैं
- मंजूषा मन  

चल पड़े हैं हम भँवर में
काग़जों की नाव ले।

राह में काँटे बिछे हैं
हम हैं नंगे पाँव ले।

फ़ौज तूफानों की आए
चाहे मेरे सामने,
कोई न साथी सर में
आये मुझको थामने।
अब चलो तन्हा चलें हम
आप अपने घाव ले।
चल पड़े है.....

काग़जों की कश्तियों का
क्या भरोसा हम करें,
ज़िन्दगी होती यही है
क्यों भला हम ग़म करें।
स्वप्न को नौका बना चल
हौसलों का ताव ले।
चल पड़े हैं हम भँवर में
काग़जों की नाव ले।

सम्पर्क: म्बुजा सिमेंट फॉउनडेशनग्राम पोस्ट रवान, ,   
जिला बलौदा बाजार, छत्तीसगढ़ -493331  

1 comment:

निंदक नियरे राखिये said...

अच्छा गीत हुआ है। बधाई रचनाकार को।