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Mar 14, 2014

उदंती.com, मार्च- 2014

उदंती.com, मार्च- 2014 
संसार रूपी कड़वे वृक्ष के दो फल अमृत के समान हैं। 
सरस तथा प्रिय वचन और सज्जनों की संगति।  -चाणक्य

आवरण चित्रः संवेदनशील कलाकार बसंत साहू ने हाल ही में इस चित्र को बनाया है और फेसबुक में साझा किया है। बसंत के चित्रों में छत्तीसगढ़ अंचल की लोक संस्कृति और परंपरा की झलक मिलती है। इस चित्र में उन्होंने माँ बेटी की भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से उतारा है। उनका पता है- सरोजनी चौक, कुरुद, जिला- धमतरी (छ.ग.) मो. 990776583, Email- basantartist@gmail.com 


अनकही: ऐसी बानी बोलिए - डॉ. रत्ना वर्मा

3 comments:

डॉ. जेन्नी शबनम said...

उदंती के हर अंक की तरह इस अंक में भी खूबसूरत सज्जा के साथ उत्कृष्ट लेखन सामग्री है. बधाई स्वीकारें! मेरे हाइकु को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार!

प्रियंका गुप्ता said...

एक खूबसूरत अंक हर बार की तरह सामने आया...| बधाई...| जेन्नी जी के हाइकु बहुत अच्छे लगे...| गुरुदेव की कहानी मन को छू गई...| हमारी ऐसी साहित्यिक विरासत प्रस्तुत करने के लिए आभार और बधाई...|

लोकेन्द्र सिंह said...

बेहद खूबसूरत आवरण पृष्ठ है। अंदर के पृष्ठ भी बेहद सुन्दर हैं। पठनीय सामग्री भी उम्दा है।