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Oct 27, 2012

बिखरे मोती


बिखरे मोती
- मुमताज टी. एच. खान
1
देश की छाती
सहती खूब भाले
रोज घोटाले
2
सच्चे ये दोस्त
अनमोल खजाने
नि:स्वार्थ भरे।
3
प्राण- बेटियाँ
घरौंदे ये बसाएँ
लोभी जलाएँ।
4
हृदय दुखी
दुनिया के मेले में
ढूँढ़ता खुशी।
5
काँटों में पला
सब की शोभा बन
सदा गुलाब।
6
फैले उजाला
साथ बाँटेंगे जब
एक निवाला।
7
ममता रोती-
कोई पिरो दे मेरे
बिखरे मोती।
8
देखते आज
सिकुड़ता आँगन
दुखी है फूल।
9
ओ पापी पेट!
और कितनी दूँ मैं
तुझको भेंट।
10
माँ तेरी याद
मन में हर पल
रही है साथ
11
पूस की रातें
माँ की गोद के लिए
दौड़ लगाते।
12
पल वो याद
पिता का अचानक
छूटा था साथ।
13
भैया के साथ
टिफिन था जो बाँटा
भूले न स्वाद।
14
नीम की डाल
न कभी हम भूले
थे जहाँ झूले।
15
रस्सी का झूले
मस्ती की पेंग बढ़ा
खुशी से फूले।
16
गाँव की नदी
थी लहर जो आती
पाँव छू जाती।
17
टूट चुका है
वो प्यारा-सा बसेरा
था जहाँ डेरा।
18
सुख-दुख में
ऐसा निभाया साथ
सदा हैं पास।
संपर्क- द्वारा/ श्री बाबर मिर्जा, 111/2, काँकर टोला,  पुराना शहर, बरेली-243001 फोन- 0581-2520547

1 comment:

vandana gupta said...

बहुत सु्न्दर हाइकू