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May 10, 2011

हरसिंगार

- ज़हीर कुरेशी
मन ही मन लोग डरने लगे,
अनवरत बात करने लगे।

रास आते ही यायावरी,
खुशबुओं से विचरने लगे।

घर की शादी में चिन्ता सहित,
लोग खुशियों से भरने लगे।

उसने ज्यों ही छुआ हरसिंगार,
अनगिनत फूल झरने लगे।

राज-सत्ता के संकेत पर,
लोग हद से गुजरने लगे।

द्वंद्व की तेज आंधी चली,
मन के उल्लास मरने लगे।

जितने चेहरे भी संदिग्ध थे,
प्रश्न बनकर उभरने लगे।

पता: समीर कॉटेज, बी-21, सूर्य नगर, शब्द प्रताप आश्रम के पास,
ग्वालियर 474012 (म.प्र.) मो. 09425790565

1 comment:

Devi Nangrani said...

Raj Satta ke sanket par
Log Had se guzarne lage

Lajawaab