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Sep 23, 2009

उदंती.com, सितम्बर 2009

उदंती.com , वर्ष 2, अंक 2, सितम्बर 2009
 
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स्वच्छता, पवित्रता और आत्मसम्मान से जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
-महात्मा गांधी
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अनकही: सादगी का व्यापार
समाज/ परंपरा से बनते तालाब - अनुपम मिश्र
बातचीत/ सबसे कम उम्र की पोस्ट ग्रेजुएट ने कहा ....
नींद-शोध/ इन्हें दस घंटे तो सोने दें - विश्वमोहन तिवारी
चर्चा-भाषा/ हिंदी का भविष्य और भविष्य में हिंदी - डॉ. रमाकांत गुप्ता
दूरदर्शन: 50 बरस का सुनहरा सफर- उदंती फीचर्स
शिक्षा-बहस/ ग्रेडिंग प्रणाली: क्या तनाव से बचाएगा - संजय द्विवेदी
पुरातन-मंदिर/ पलारी का ऐतिहासिक सिद्धेश्वर मंदिर - नंदकिशोर वर्मा
सिनेमा-कला/ बदलती फिल्मी दुनिया - अरुन कुमार शिवपुरी
कहानी/ गिरगिट - आंतोन चेखव
ई-पोर्टल/ शिक्षकों के लिए एक मंच
गजल/ शहर में - देवी नागरानी
21वीं सदी के व्यंग्यकार/ निलंबित डॉट कॉम - गिरीश पंकज
किसानों के लिए खुशखबरी/ इसे कहते हैं सादगी
अभियान-मुझे भी आता है गुस्सा/
बेटी पुकारने में झिझक क्यों - सुजाता साहा
वाह भई वाह/ सरकारी काम
इस अंक के लेखक      
आपके पत्र/ इन बाक्स
रंग बिरंगी दुनिया

2 comments:

सुभाष नीरव said...

डॉ रत्ना जी, उदंती डॉट काम पर इतनी दमदार सामग्री का इतने सुन्दर ढ़ंग स आपका समायोजन निश्चित ही पाठकों पर अपना प्रभाव छोड़ता है। रचनाओं का चयन पत्रिका के स्तर के अनुरूप होता है, यह एक बड़ी बात है। आपकी लगन और आपका श्रम निरर्थक नहीं जाएगा, मुझे पूरा विश्वास है।
-सुभाष नीरव
www.kathapunjab.blogspot.com
www.setusahitya.blogspot.com
www.srijanyatra.blogspot.com

प्रदीप जिलवाने said...

'उदंती' के माध्‍यम से चेखक की छोटी कहानी 'गिरगिट' पढ़ने को मिल गई. पञिका में सामग्री के चयन को लेकर पर्याप्‍त सतर्कता भी नजर आती है. सुजाता साहा का लेख 'बेटी पुकारने में झिझक क्‍यों' आवश्‍यकता से अधिक छोटा है. विष्‍ाय पर और गंभीरता से भी लिखा जा सकता था. बहरहाल कुशल संपादित अंक के लिए मेरी बधाई स्‍वीकारें...
दीप पर्व की अनेक शुभकामनाओं के साथ.
-प्रदीप जिलवाने, खरगोन म.प्र.