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Sep 23, 2009

आपके पत्र

खेलकूद को भी स्थान दें 
उदंती में विविध विषयों पर सारगर्भित आलेख तो होते ही हैं लेकिन यदि खेलकूद की सूचनाओं को भी पत्रिका में स्थान दें तो पत्रिका में और भी पूर्णता आ जाएगी।
- राधाकान्त चतुर्वेदी, भोपाल
समाज की सही तस्वीर  
आपकी उदंती का नया अंक हासिल हुआ जिसके लिए आभारी हूं, यहां परदेस में बैठकर देश के साथ जुड़े रहना एक सुखद अनुभूति है, रचना गौड़ की लघुकथा में आस पास के समाज की सही तस्वीर खींची गई है। संपादकीय मंडल को मेरी शुभकामनाएं , जिन्होंने स्तरीय रचना पढऩे और इन लेखकों से रुबरु होने का मौंका दिया। बधाई व शुभकामनाएं।
   - देवी नागरानी, न्यूजर्सी, यूएसए
बिन पानी सब सून  
यह सच है कि पानी मनुष्य जीवन का महत्वपूर्ण पदार्थ है पानी के बिना जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है लेकिन क्या कहें कहीं पानी की अधिकता तो कहीं पानी की कमी समस्या बनी रहती है दोनो ही स्थिति में जनजीवन प्रभावित होता है !!
- श्याम कोरी उदय, बिलासपुर
सुखद अनुभूति  
उदंती को देखना और उसे पढऩा सुखद अनुभूति से भर देता है। वैसे पत्रिका नेट से ज्यादा सुन्दर प्रिंट में नजर आती है। इतनी सुंदर पत्रिका काश कुछ साल पहले शुरु हुई होती ... खैर, देर सवेर, दुरुस्त आये... आपके हाथों में कीमती रत्न है।  उदंती पत्रिका चलती रहे, शुभकामनाएं।
 - गिरीश पंकज, रायपुर
अच्छा काम 
उदंती का नया अंक देखा और पढ़ा। आप अच्छा काम कर रही हैं। पत्रिका रोचक और जानकारियों से भरी हुई है।
- हृषीकेश सुलभ, hrishikesh.sulabh@gmail.com
अपना बचपन याद आ गया
भारती परिमल का चलें बचपन के गांव की ओर  आलेख पढ़कर अपना बचपन आंखों में तैरने लगा। बहुत-बहुत बधाई।
 -प्रो0 डा. जयजयराम आनंद
सुंदर और रोचक 
अंक देखा और पढ़ा। सुन्दर और रोचक है। समय के साथ और प्रगति करें व अपने उद्देश्य को प्राप्त करे ऐसी प्रार्थना ईश्वर से है।
-हिरेन जोशी, hiren joshi
शिक्षा प्रणाली पर बहस 
अनकही में शिक्षा प्रणाली के कायाकल्प पर बहस बहुत अच्छा है। ऐसी ही स्थिति नेपाल में भी है।
 - एस.एन. मिश्र
विविधता में सार्थकता  
आपका प्रयास प्रशंसनीय है। रचनाओं में विविधता इसे सार्थकता प्रदान कर रही है। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
   -अशोक सिंघई, भिलाई (छ.ग.)
मौजूदा विषयों पर लेख 
 खूबसूरत अंक के लिए बधाई। वैसे तो उदंती का हर अंक अपने आप में विशेष होता है किंतु अगस्त अंक में स्वाइन फ्लू जैसे मौजूदा विषय पर लेख प्रस्तुत करके जन जागरण में भी योगदान दिया है। जानने की जंग का पहला पड़ाव अर्थात सूचना का अधिकार यह लेख समयानुकूल है। हालांकि इस विषय पर कई जगहों पर कई लेख प्रसिद्ध हो चुके हैं किंतु अभी भी जन सामान्य को इसके बारे ठीक-ठीक जानकारी नहीं है। डॉ वीरेंद्र सिंह यादव ने इसे कुछ सरल करने का प्रयास किया है जो एक उत्तम प्रयास है। पत्रिका में इस प्रकार के मौजूदा विषयों पर लेख पत्रिका की सार्थकता को बढ़ाते हैं। इसके अलावा अन्य लेख भी रोचक लगे, खास कर गंगूबाई हंगल पर। पत्रिका इसी तरह समृद्ध बनती रहे यही शुभकामनाएं। -
नितीन जे देसाई, पुणे nitin67j@gmail.com

1 comment:

हरिराम said...

उदंती दिनों दिन प्रगति करती रहे। इसके आलेख/समाचार संतुलित हैं।